लेखनी डायरी- 19-12-2021 फरवरी
दिनांक: 19/12/2021- फरवरी
जब भी औरों की जिंदगी देखो, तो अपनी जिंदगी में कमी सी लगने लगती है। यही तुलना जिंदगी को सकरात्मकता से नकरात्मकता की ओर ले जाती है। जिसको जो मिला, वो उसके नसीब की बात है, बेकार में दूसरे से अपनी तुलना करके अपना दिमाग क्यों खराब करना।
अक्सर माता पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों के बच्चों से करते हैं और यही तुलनात्मक रवैया हर रिश्ते में नज़र आता है। इस तरह का व्यवहार इंसान के अंदर एक अलग तरह का मानसिक दबाव पैदा कर देता है, दिल में दूसरों के प्रति ईर्ष्या जागृत होने लगती है और धीरे-धीरे यह कुंठा का रूप ले लेती है।
जितना हो सके तुलना करने से बचे। जिस तरह हाथ की पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती, उसी तरह हर किसी की किस्मत भी अलग-अलग होती है। जितनी शिकायतें करेंगे जिंदगी से उतना ही मूड खराब रहेगा। जो मिला है जिंदगी में उसे स्वीकार करते हुए हालातों को बेहतर करने की कोशिश करें।
"जिंदगी की यही रीत है।
हार के बाद ही जीत है।
थोड़े आंसू है, थोड़ी हंसी,
आज गम है तो कल है ख़ुशी।"
❤सोनिया जाधव
Inayat
20-Dec-2021 01:09 AM
बहुत बढ़िया लिख रही है आप
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🤫
19-Dec-2021 08:41 PM
बेहतरीन ma'am..
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Sonia Jadhav
19-Dec-2021 10:32 PM
शुक्रिया🙏🙏
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